पीपीएस के 306 पद खाली, प्रोन्नतियां अटकीं

लखनऊ। पुलिस सेवा संवर्ग के कुप्रबंधन के चलते प्रदेश पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक और अपर पुलिस अधीक्षकों के 306 से ज्यादा पद खाली हैं। नौबत यह है कि एक ओर जहां नायब तहसीलदार पीसीएस बनकर आईएएस तक बनते जा रहे हैं, वहीं शासन और आला अधिकारियों की अनदेखी के चलते प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की प्रोन्नति के दरवाजे बंद होते जा रहे हैं। इंस्पेक्टर तो दूर डीएसपी स्तर के अधिकारियों को समय पर प्रोन्नति नहीं मिल रही। इससे पीपीएस संवर्ग का मनोबल बहुत टूट गया है।प्रदेश में प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों का 1397 पदों का संवर्गहै। इसमें अपर पुलिस अधीक्षक के 317 और पुलिस उपाधीक्षक के 1080 पद हैं। डीएसपी के पदों पर लोकसेवा आयोग से सीधी भर्ती होती है, जबकि एएसपी के पद प्रोन्नति से भरे जाते हैं। नौबत यह है कि मौजूदा वक्त में एएसपी के 52 और पुलिस उपाधीक्षक के 254 पद खाली हैं। इसमें पुलिस उपाधीक्षक ज्येष्ठ वेतनमान में 68 और पुलिस उपाधीक्षक साधारण वेतनमान में करीब 186 पद खाली हैं यानी कुल 306 पदोंरिक्त हैं। नौबत यह है कि पीसीएस अधिकारियों के वर्ष 2010 बैच का आईएएस में प्रमोशन हो रहा है। वहीं प्रांतीय पुलिस अधिकारियों का वर्ष 1997 बैच ही अभी तक प्रोन्नति पा सका है। पीसीएस अधिकारियों ने सेवा नियमावली में संशोधन करवा लिया है। इसके तहत सीधी भर्ती से सेवा में आए नायब तहसीलदार से प्रोन्नत होकर तहसीलदार बने अधिकारी एसडीएम और फिर एडीएम के पद पर प्रोन्नति पा रहे हैं। साथ ही पीसीएस संवर्ग ने प्रोन्नति में तहसीलदारों का कोटा तय कर दिया है। अब प्रांतीय पुलिस सेवा संवर्ग की मांग है कि डीएसपी के पद पर सीधी भर्ती खाली पदों के 50 के बजाये 33 फीसदी पदों पर की जाए। शेष 67 फीसदी पदों को ठीक उसी तरह सब-इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नत हुए पुलिस कर्मियों को प्रोन्नति दी जाए जैसी कि तहसीलदार पद से एसडीएम और बादमे एडीएम  पद पर प्रोन्नत हो रहे हैं

50 के बजाय 33 फीसदी पर की जाए डीएसपी की सीधी भर्ती

1, पीपीएस संवर्ग नियमावली में संशोधन की मांग

 2,  डीएसपी स्तर के अफसरों को समय पर प्रोन्नति नहीं

युवा अब अब डीएसपी पद को प्रथम – द्वितीय वरीयता नहीं दे रहे

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में पांच वर्ष तक सेवा देने वाले पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी कहते हैं कि पीपीएस संवर्ग में प्रमोशन के अवसरों में अवरोध के कारण ही नए यूपीपीएसएसी भर्ती के लिए युवा अब डीएसपी पद को प्रथम अथवा द्वितीय वरीयता नहीं दे रहे। हालत यह है कि जिला विद्यालय निरीक्षण और समाज कल्याण अधिकारी के पद पर भर्ती के लिए ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि नियमों में बदलाव करने से पुलिस विभाग के अराजपत्रित अधिकारियों को भी बेहतर सेवा अवसर प्राप्त होगा। उनमें नई ऊर्जा व ईमानदारी से काम करने की ललक पैदा होगी।

सूत्रों के अनुसार, कई डीएसपी स्तर के अधिकारी वर्षों से प्रमोशन के हकदार हैं, लेकिन विभागीय प्रक्रिया में देरी के चलते वे एसपी या अन्य उच्च पदों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। शासन स्तर पर फाइलें लंबित पड़ी हैं और समय-समय पर समीक्षा के बावजूद ठोस निर्णय नहीं हो पा रहा है।

अब जरूरत इस बात की है कि शासन जल्द ही खाली पदों को भरने की दिशा में कदम उठाए और योग्य अधिकारियों की प्रोन्नति सुनिश्चित करे, जिससे पुलिस व्यवस्था को और सशक्त बनाया जा सके।

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