उत्तरखंड के चमोली में टूटा ग्लेशियर:
बीआरओ कैंप को पहुंचा नुकसान, 57 मजदूर प्रभावित
उत्तराखंड के चमोली जिले में एक बड़ा प्राकृतिक हादसा हुआ, जब एक विशाल ग्लेशियर टूटने से इलाके में भारी तबाही मच गई। इस आपदा ने न केवल स्थानीय जनजीवन को प्रभावित किया, बल्कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कैंप और वहां काम कर रहे मजदूरों को भी भारी नुकसान पहुंचाया। इस घटना में 57 मजदूर प्रभावित हुए, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल हैं, जबकि कुछ के लापता होने की भी खबर है।
ग्लेशियर टूटने की घटना
यह घटना चमोली जिले के ऊपरी पहाड़ी क्षेत्र में हुई, जहां बीआरओ के मजदूर सड़क निर्माण और अन्य आधारभूत ढांचे के निर्माण कार्यों में लगे हुए थे। अचानक हुए ग्लेशियर टूटने से बर्फ का विशाल मलबा तेजी से नीचे की ओर आया और बीआरओ के अस्थायी कैंप पर गिर पड़ा। बर्फ के साथ आए भारी चट्टानों और मलबे ने पूरे कैंप को तहस-नहस कर दिया।
57 मजदूरों पर पड़ा असर
इस आपदा के दौरान कैंप में मौजूद 57 मजदूर किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए। कई मजदूरों को गंभीर चोटें आईं, जबकि कुछ मजदूर अब भी लापता बताए जा रहे हैं। राहत एवं बचाव कार्य जारी है, और स्थानीय प्रशासन तथा आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य में लगी हुई हैं।
बीआरओ कैंप को भारी नुकसान सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और पुल निर्माण के कार्यों में लगा रहता है। इस संगठन के तहत कार्यरत मजदूर कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, लेकिन इस प्राकृतिक आपदा ने उनके कैंप को पूरी तरह से तबाह कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंप में रखी निर्माण सामग्री, वाहन, और उपकरण भी इस तबाही में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
राहत और बचाव कार्य
प्रशासन द्वारा तुरंत ही राहत कार्य शुरू कर दिया गया। सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमें बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। हेलीकॉप्टर के जरिए भी प्रभावित मजदूरों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। बर्फ के बीच दबे हुए मजदूरों को निकालने के लिए विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रशासन ने बताया कि घायलों को निकटतम अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और उनका इलाज चल रहा है।
भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के प्रयास
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ग्लेशियर टूटने और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे इस तरह की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। सरकार और वैज्ञानिक संस्थान इस पर शोध कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके या कम से कम उनका प्रभाव कम किया जा सके।
निष्कर्ष
चमोली में ग्लेशियर टूटने की यह घटना एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है, जिसने न केवल बीआरओ कैंप को नुकसान पहुंचाया, बल्कि 57 मजदूरों को भी प्रभावित किया। सरकार, प्रशासन और राहत एजेंसियां तेजी से काम कर रही हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने और काम करने वालों के लिए विशेष सतर्कता और आपदा प्रबंधन योजनाओं की आवश्यकता है।
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